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प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) पर अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न

प्रश्न 1. क्या यह कार्यक्रम केवल राजस्व गांवों के लिए संयोजकता प्रदान करता है? क्या छिटपुट गांव (hamlet) जोड़े जाने के लिए पात्र हैं?

उत्तर: पीएमजीएसवाई-I की भावना और उद्देश्य पात्र असंबद्ध बसावटों को समुचित बारहमासी सड़क संयोजकता प्रदान करना है। इस कार्यक्रम की इकाई राजस्व गांव या पंचायत नहीं बल्कि बसावट है। बसावट का अर्थ किसी क्षेत्र में रहने वाली आबादी का ऐसा समूह जो कि समय के साथ बदलता नहीं है। बसावट को इंगित करने के लिए आम तौर पर देशम, धानी, टोला, माजरा, हैमलेट आदि शब्दों का उपयोग किया जाता है।

बसावट की जनसंख्या का आकार निर्धारित करने का आधार 2001 की जनगणना में दर्ज की गई जनसंख्या होगी। जनसंख्या का आकार निर्धारित करने के लिए 500 मीटर (पहाड़ी क्षेत्रों के मामले में 1.5 कि.मी. की दूरी) के दायरे में सभी आवासों की आबादी को एक साथ रखा जा सकता है। पहाड़ी राज्यों (गृह मंत्रालय द्वारा इस रूप में चिह्नित) में अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे खंडों में, हालांकि 10 कि.मी. तक की मार्ग दूरी के भीतर सभी बसावटों को इस उद्देश्य के लिए क्लस्टर माना जाता सकता है। यह क्लस्टर दृष्टिकोण विशेष रूप से पहाड़ी/पर्वतीय क्षेत्रों में कई बसावटों में संयोजकता के प्रावधान को संभव बनाएगा।

पीएमजीएसवाई के तहत अरुणाचल प्रदेश के मामले में विशेष व्यवस्था की अनुमति दी गई है जिसके तहत राज्य की अंतर्राष्ट्रीय सीमा से सटे सभी जिलों में 10 किमी की मार्ग दूरी तक सारी आबादी को क्लब करके क्लस्टर दृष्टिकोण का विस्तार किया गया है।

प्रश्न 2. कवरेज के लिए बसावटों का चयन किस तरह किया जाता है? यह कौन तय करता है कि एक वर्ष में किन बसावटों को कवर किया जाएगा?

उत्तर: असंबद्ध बसावटों को प्राथमिकता के अनुसार सूचीबद्ध किया जाता है (सामान्यतः 2001 जनगणना के अनुसार अधिक आबादी वाली बसावटों को पहले जोड़ा जाएगा) और राज्य के लिए संभावित रूप से उपलब्ध करवाए जाने वाले धन के आधार पर, पंचायती राज संस्थाओं और निर्वाचित प्रतिनिधियों को शामिल करते हुए परामर्शपूर्ण प्रक्रिया के माध्यम से जिला पंचायत द्वारा प्रत्येक वर्ष पीएमजीएसवाई-I के तहत शुरु किए जाने वाले सड़क निर्माण कार्यों की सूची को अंतिम रूप दिया जाएगा।

प्रश्न 3: सड़क संयोजकता के लिए क्या कोई व्यक्ति आवेदन कर सकता है?

उत्तर: पीएमजीएसवाई-I का उद्देश्य ऊपर वर्णित प्रश्न 1 के उत्तर के अनुरूप असंबद्ध बसावटों को सड़क संयोजकता प्रदान करना है। कार्यक्रम के दिशानिर्देशों के अनुसार सड़क संयोजकता के लिए किसी भी प्रस्ताव पर विचार किया जा सकता है।

प्रश्न 4: संरेखण का चयन किस तरह किया जाता है? क्या स्थानीय ग्रामीण इस प्रक्रिया से जुड़े होते हैं?

उत्तर: संरेखण को अंतिम रूप देने के लिए डीपीआर तैयार करते समय सहायक अभियंता द्वारा सहज, गैर-औपचारिक पारगमन यात्रा (transect walk) का आयोजन किया जाएगा। पंचायत प्रधान, स्थानीय पटवारी, जेई, स्थानीय राजस्व और वन अधिकारी, महिलाओं पंचायत सदस्य और महिला स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी) के प्रतिनिधि पारगमन यात्रा में भाग लेते हैं ताकि सबसे उपयुक्त संरेखण निर्धारित करने, भूमि की उपलब्धता संबंधी मुद्दों का हल करने और किसी भी प्रतिकूल सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने, कार्यक्रम में अपेक्षित सामुदायिक भागीदारी प्राप्त करने संबंधी काम किए जा सकें। पारगमन यात्रा के बाद, कार्यवृत्तों को ग्राम सभा के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए और उनके द्वारा अनुमोदित किया जाना चाहिए। इस प्रक्रिया में प्रस्तावित संरेखण द्वारा प्रभावित होने की संभावना वाले स्थानीय लोगों को भी अपना दृष्टिकोण व्यक्त करने की अनुमति है।

प्रश्न 5. बारहमासी सड़क संयोजकता का क्या अर्थ है? क्या इसका अर्थ केवल काली-सतह वाली या सीमेंट कंक्रीट सड़कों से है?

उत्तर: बारहमासी सड़क वह सड़क है जो वर्ष के सभी मौसमों में उपयोग योग्य हो। इसका अर्थ है सड़क की सतह से प्रभावी जल निकासी होनी चाहिए परंतु इसका यह अनिवार्य निहितार्थ नहीं है कि यह काली सतह वाली या सीमेंट-कंक्रीट के साथ पक्की सतह वाली होनी चाहिए। बजरी वाली सड़क भी बारहमासी सड़क हो सकती है।

प्रश्न 6. निर्मित हो चुके आवासीय क्षेत्रों से गुजरने वाले सड़क हिस्सों में जल निकासी की समस्या का समाधान किस तरह किया जाता है?

उत्तर: निर्मित हो चुके आवासीय क्षेत्रों से गुजरने वाले सड़क हिस्सों के घरों से बहने वाले अपशिष्ट जल के चलते क्षतिग्रस्त होने की आशंका रहती है। कार्यक्रम के दिशानिर्देशों में सीमेंट कंक्रीट पेवमैंट या सीमेंट/ पत्थर ब्लॉक पेवमैंट के निर्माण के साथ-साथ साइट की स्थिति के अनुसार ढकी हुई या खुली पक्की किनारे की नालियों के निर्माण का प्रावधान किया गया है।

प्रश्न 7. क्या पुलिया या आर-पार जल निकासी निर्माण कार्यों के लिए पर्याप्त प्रावधान किए जाते हैं?

उत्तर: पीएमजीएसवाई का उद्देश्य अपेक्षित पुलियाओं और अन्य आर-पार जल निकासी संरचनाओं सहित बारहमासी सड़क प्रदान करना है जो कि ग्रामीण क्षेत्रों में पीएमजीएसवाई दिशानिर्देशों के अनुसार पात्र असंबद्ध बसावटों के लिए वर्ष भर उपयोग योग्य हो। पीएमजीएसवाई के तहत निर्मित ग्रामीण सड़कों में उचित तटबंध और जल निकासी होनी चाहिए। आवश्यक जांच के माध्यम से जहां आवश्यक हो साइट आवश्यकताओं के अनुरूप यथा निर्धारित कॉजवे सहित आर-पार निकासी (सीडी) निर्माण कार्यों की पर्याप्त संख्या और प्रकार, का प्रावधान किया जाना चाहिए। जहां आवश्यक हो, छोटे पुल बनाए जा सकते हैं।

सड़क प्रस्तावों के साथ पुलियों/ आर-पार निकासी पुलों को शामिल करने के लिए राज्य सरकारों को आवश्यक परामर्श पहले ही जारी किया जा चुका है।

लंबे स्पैन वाले पुलों के प्रस्तावों को अलग डीपीआर के रूप में तैयार किया जाना चाहिए। हालांकि, पुलों के ऐसे प्रस्तावों को सड़क प्रस्तावों के साथ एक ही बैच में प्रस्तुत किया जाना चाहिए।

प्रश्न 8. नदियों/ नालों पर बनने वाले पुलों के बारे में क्या प्रावधान है?

उत्तर: सड़क के संरेखण से गुजरने वाली नदियों/ नालों पर बनने वाले पुलों को सड़क के प्रस्ताव के साथ कार्यक्रम के तहत लिया जाता है। मंत्रालय ने पीएमजीएसवाई-III दिशानिर्देश जारी किए हैं जिनमें पीएमजीएसवाई के तहत लंबे स्पैन के पुलों (एलएसबी) के स्पैन को बढ़ाया गया है:

  • क) गृह मंत्रालय द्वारा चिह्नित विशेष श्रेणी राज्यों और वाम उग्रवाद प्रभावित जिलों के संबंध में 200 मीटर तक।
  • ख) अन्य राज्यों के संबंध में 150 मीटर तक।

प्रश्न 9. कार्यक्रम में भूमि अधिग्रहण के लिए मुआवजे का भुगतान किया जाता है या नहीं?

उत्तर: ग्रामीण सड़क राज्यों का विषय है और कार्यक्रम के तहत सड़क निर्माण के लिए भूमि की उपलब्धता सुनिश्चित करना संबंधित राज्य सरकार/ जिला पंचायत की जिम्मेदारी है। आम जनता के लाभ के दृष्टिगत पीएमजीएसवाई के तहत सड़कों के निर्माण के लिए भूमि आम तौर पर ग्रामीणों/ पंचायत द्वारा स्वैच्छिक दान के माध्यम से बिना किसी लागत के उपलब्ध कराई जाती है। हालांकि कुछेक दुर्लभ मामलों में पीएमजीएसवाई के तहत सड़कों के निर्माण के लिए यदि भूमि का अधिग्रहण किया जाता है तो राज्य सरकार द्वारा मुआवजा दिया जाना अपेक्षित है।

प्रश्न 10. सड़कों के निर्माण के लिए निष्पादनकर्ताओं का चयन किस तरह किया जाता है?

उत्तर: सड़कों के निर्माण के लिए निष्पादनकर्ताओं का चयन खुली प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से किया जाता है जिसके लिए राज्य सरकारों द्वारा विधिवत रूप से निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया जाता है। जिन बोलीकर्ताओं के पास प्रावधानों के अनुसार निर्धारित योग्यताएं और कार्यों को निष्पादित करने की क्षमता हो, उनके द्वारा बोली प्रक्रिया में भाग लेना अपेक्षित होता है। निविदा प्रक्रिया में पारदर्शिता लाने और निविदा प्रक्रिया को गति देने के लिए, बोलियों के ई-प्रापण को अनिवार्य बनाया गया है।

प्रश्न 11. यदि सड़क का निर्माण पूरा होने के बाद इसमें दोष पाए जाते हैं तो इन्हें कैसे सुधारा जाता है?

उत्तर: अनुबंध के प्रावधानों के अनुसार, ठेकेदार ऐसे किसी भी दोष के लिए उत्तरदायी है जो कि सड़क निर्माण कार्य पूरा होने के बाद 5 वर्ष की अवधि तक पाया जाता है। दोष देयता को लागू करने के लिए, ठेकेदारों के बिल से प्रतिभूति राशि की कटौती की जाती है। उक्त अवधि के दौरान ठेकेदार को दोषों को ठीक करना होगा और यदि सुधार नहीं किया जाता है, तो परियोजना कार्यान्वयन इकाई (पीआईयू) से यह अपेक्षित होता है कि यह दोष का सुधार करे और इससे संबंधित लागत की वसूली ठेकेदार के प्रतिभूति जमा से की जाए।

प्रश्न 12. यदि ठेकेदार निष्पादन में देरी करता है तो क्या होगा?

उत्तर: यदि ठेकेदार द्वारा निर्धारित मील पत्थरों (milestones) का अनुपालन नहीं किया जाता है तो वह अनुबंध की सामान्य शर्तों (जीसीसी) के खंड 44 के अनुरूप अभिप्रेत पूर्णता तारीख से लेकर वास्तविक पूर्णता तारीख की अवधि तक के लिए परिनिर्धारित क्षतियों की अदायगी हेतु उत्तरदायी होगा। : -

  • यदि पूर्णता के लिए अनुमत अवधि के 1/4 भाग तक पूरे अनुबंध निर्माण कार्य मूल्य का 1/8 हिस्सा पूरा नहीं किया गया हो।
  • यदि पूर्णता के लिए अनुमत अवधि के 1/2 भाग तक पूरे अनुबंध निर्माण कार्य मूल्य का 3/8 हिस्सा पूरा नहीं किया गया हो।
  • यदि पूर्णता के लिए अनुमत अवधि के 3/4 भाग तक पूरे अनुबंध निर्माण कार्य मूल्य का 3/4 हिस्सा पूरा नहीं किया गया हो।

पूर्णता में हुई देरी के लिए निकटतम हजार तक राउंड ऑफ करके, प्रति सप्ताह, प्रारंभिक अनुबंध मूल्य का 1%, निर्माण कार्य पूरा होने में हुई देरी के लिए परिनिर्धारित क्षति है बशर्ते कि यह अधिकतम प्रारंभिक अनुबंध मूल्य का 10% होगा।

प्रश्न 13. निर्माण कार्य की गुणवत्ता की जांच और मॉनीटरिंग किस तरह किए जाते हैं?

उत्तर: प्रत्येक ठेकेदार से अपेक्षित होता है कि वह सड़क निर्माण के प्रत्येक पैकेज के लिए एक फील्ड प्रयोगशाला स्थापित करे जिसमें उसे निष्पादन एजेंसी की देखरेख में सामग्री और कारीगरी की गुणवत्ता संबंधी परीक्षण करने होते हैं। निष्पादन एजेंसी के विभागीय अधिकारियों द्वारा गुणवत्ता की जांच के अलावा, राज्य सरकारों द्वारा सड़क कार्यों की गुणवत्ता की निगरानी के लिए स्वतंत्र मॉनिटर तैनात करना अपेक्षित है। केंद्र सरकार द्वारा भी निर्माण कार्यों की गुणवत्ता की औचक मॉनीटरिंग के लिए स्वतंत्र राष्ट्रीय गुणवत्ता मॉनीटर (एनक्यूएम) की तैनाती की जाती है।

प्रश्न 14. क्या परियोजना स्थलों पर परियोजना से संबंधित जानकारी प्रदर्शित करने का प्रावधान है?

उत्तर: प्रत्येक निर्माण कार्य के लिए स्थानीय भाषा में निम्नलिखित विस्तृत जानकारी करते हुए नागरिक सूचना बोर्ड लगाए जाते हैं: -

  • निर्माण कार्य के प्रत्येक स्तर का विवरण।
  • निर्माण कार्य में समाहित सामग्री की मात्रा का विवरण।
  • सड़क का निर्माण किस तरह किया जाएगा और अन्य संगत विवरण।

निष्पादन एजेंसी, ठेकेदार, निर्माण कार्य की अनुमानित लागत और पूरा होने की अवधि की जानकारी देते हुए प्रत्येक कार्यस्थल पर सामान्य सूचना बोर्ड भी लगाया जाता है।

प्रश्न 15. निर्माण की गुणवत्ता, ठेकेदार द्वारा घटिया सामग्री का इस्तेमाल अथवा निष्पादन में देरी के बारे में सामान्य नागरिक किस तरह शिकायत दर्ज कर सकते हैं?

उत्तर: (i) कोई भी नागरिक पीआईयू प्रमुख से किसी भी प्रकार की शिकायत दर्ज कर सकता है। पीआईयू का पता प्रत्येक कार्यस्थल पर प्रदान किए सूचना बोर्ड पर उपलब्ध होता है। नागरिक संबंधित राज्य की राज्य ग्रामीण सड़क विकास एजेंसी के राज्य गुणवत्ता समन्वयक (SQC) से भी शिकायत कर सकते हैं:-

  • क.राज्य गुणवत्ता समन्वयक (एसक्यूसी)/ कार्यक्रम निष्पादन इकाई प्रमुख (जिलों, या जिलों के सुगठित समूह में पीआईयू प्रमुख जो कि न्यूनतम कार्यकारी अभियंता रैंक का अधिकारी हो) सभी शिकायतें प्राप्त करते हैं। एसक्यूसी द्वारा सभी शिकायतों की पावती दी जाती है और इन्हें पंजीकृत किया जाता है।
  • ख.यदि आवश्यक हो तो एसक्यूसी द्वारा स्वतंत्र राज्य गुणवत्ता मॉनिटर्स (एसक्यूएम) को जिम्मेदारी देकर शिकायतों की जांच की व्यवस्था की जाएगी।
  • ग.शिकायतकर्ताओं को 30 दिनों के भीतर कार्रवाई के बारे में सूचित किया जाता है।
  • घ.मंत्रालय/राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना विकास एजेंसी (एनआरआईडीए) द्वारा प्राप्त शिकायतों के गंभीर मामलों की जांच हेतु राष्ट्रीय गुणवत्ता मॉनिटर्स (एनक्यूएम) की प्रतिनियुक्ति की जाती है।
  • ङ.मुख्य सचिव/अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य-स्तरीय स्थायी समिति द्वारा शिकायतों पर की गई कार्रवाई की स्थिति की समीक्षा की जाती है।

(ii) नागरिक वेबसाइट www.omms.nic.in पर भी अपनी शिकायतें दर्ज कर सकते हैं। वेबसाइट पर "फीडबैक" मेनू बार दिया गया है, जिसे सभी नागरिकों द्वारा एक्सेस किया जा सकता है।

(iii) नागरिकों द्वारा निदेशक(P-III), राष्ट्रीय ग्रामीण अवसंरचना विकास एजेंसी (एनआरआईडीए), ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार के निम्नलिखित पते पर भी शिकायत दर्ज की जा सकती है: -

5वां तल, एनबीसीसी टॉवर, भीकाजी कामा प्लेस, नई दिल्ली-110066 फोन नंबर 011-26716930
ई-मेल: nrrda[at]nic[dot]in इसके अलावा, www.pmgsy.nic.in पर प्रतिक्रिया दर्ज की जा सकती है।

प्रश्न 16. कार्यक्रम के कार्यान्वयन की गुणवत्ता की जांच करने में जन प्रतिनिधियों की क्या भूमिका है?

उत्तर. समग्र पारदर्शिता के सरोकार और सार्वजनिक प्रतिनिधियों की सक्रिय भूमिका सुनिश्चित करने के लिए, राज्यों को सलाह दी गई है कि वे निम्नलिखित तरीके से स्थानीय जन प्रतिनिधियों के साथ सड़क कार्यों के समयबद्ध निरीक्षण की व्यवस्था करें:-

  • अधीक्षण अभियंता 6 माह की अवधि में एक बार माननीय सांसद और जिला प्रमुख से अनुरोध करेंगे कि वे संबंधित क्षेत्रों में सड़क निर्माण कार्यों का चयन करें और संयुक्त निरीक्षण/भ्रमण की व्यवस्था की जाएगी। .
  • अधिशासी अभियंता तीन महीने की अवधि में एक बार माननीय विधायक और मध्यवर्ती पंचायत के अध्यक्ष से अनुरोध करेंगे कि वे संबंधित क्षेत्रों में सड़क निर्माण कार्यों का चयन करें और संयुक्त निरीक्षण/भ्रमण की व्यवस्था की जाएगी।
  • सहायक अभियंता दो महीने की अवधि में एक बार सरपंच से अनुरोध करेंगे कि वे संबंधित क्षेत्रों में सड़क निर्माण कार्यों का चयन करें और संयुक्त निरीक्षण/भ्रमण की व्यवस्था की जाएगी।

प्रश्न 17. क्या कार्यक्रम की जानकारी किसी वेबसाइट पर उपलब्ध है?

उत्तर: जी हां, कार्यक्रम वेबसाइट www.omms.nic.in और www.pmgsy.nic.in.पर कार्यक्रम के संबंध में जानकारी और प्रत्येक निर्माण कार्य के बारे में विवरण उपलब्ध है। प्रभावी प्रबंधन और कार्यक्रम के तहत निगरानी के लिए ऑनलाइन निगरानी और प्रबंधन प्रणाली (ओएमएमएस) का उपयोग किया जा रहा है। वेब-आधारित पैकेज के तहत फील्ड स्तर के कर्मचारियों और राज्य इकाइयों द्वारा अपेक्षित डेटा दर्ज किया जाता है।.

प्रश्न 18. सड़कों का रखरखाव कैसे किया जाता है?

उत्तर: निर्माण के लिए निविदा के तहत काम पूरा होने के पश्चात पांच वर्ष तक सड़क निर्माण कार्यों का नियमित रखरखाव भी शामिल है। कार्यक्रम दिशानिर्देशों में परिकल्पना की गई है कि सड़क निर्माण कार्य पूरा होने पर पांच वर्ष के पश्चात सड़क निर्माण कार्यों को रखरखाव के लिए पंचायती राज संस्थाओं (पीआरआई) को हस्तांतरित कर दिया जाएगा।

प्रश्न 19. संयोजकता प्रदान करने के लिए पीएमजीएसवाई –I के तहत समाहित करने हेतु बसावटों की कितनी जनसंख्या होनी चाहिए?

उत्तर: इस कार्यक्रम में मैदानी क्षेत्रों में 500 व्यक्ति और इससे अधिक (2001 की जनगणना के अनुसार) और विशेष श्रेणी राज्यों (अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम, त्रिपुरा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, और उत्तराखंड), आदिवासी (अनुसूची V) क्षेत्रों, रेगिस्तान क्षेत्रों (रेगिस्तान विकास कार्यक्रम में यथा चिह्नित) और चयनित जनजातीय और पिछड़े जिलों में (गृह मंत्रालय/योजना आयोग द्वारा यथा चिह्नित) में 250 व्यक्ति और इससे अधिक (2001 की जनगणना के अनुसार) की जनसंख्या वाली अंसबद्ध बसावटों को कोर नेटवर्क के अनुरूप बारहमासी सड़क से जोड़ने की परिकल्पना की गई है। वामपंथ उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) से उल्लेखनीय रूप से प्रभावित 267 खंडों (गृह मंत्रालय द्वारा यथा चिह्नित) में, 100 व्यक्ति और इससे अधिक जनसंख्या (2001 जनगणना) वाली बसावटों को जोड़ने के लिए अतिरिक्त छूट दी गई है।

प्रश्न 20. पीएमजीएसवाई-II क्या है?

उत्तर: सरकार द्वारा मई 2013 में इस परिकल्पना के साथ पीएमजीएसवाई-II की शुरुआत की गई कि लोगों, वस्तुओं और सेवाओं के लिए परिवहन सेवाओं के प्रदाता के रूप में इसकी समग्र दक्षता में सुधार के लिए मौजूदा ग्रामीण सड़क नेटवर्क का समेकन किया जाए। इसमें उनकी आर्थिक क्षमता और ग्रामीण बाजार केद्रों तथा ग्रामीण हबों के विकास को प्रोत्साहित करने में इनकी भूमिका के आधार पर मौजूदा चयनित ग्रामीण सड़कों का उन्नयन करने की परिकल्पना की गई है। पीएमजीएसवाई-II की परिकल्पना केंद्र और राज्यों के बीच साझा आधार पर की गई थी।

पीएमजीएसवाई-II, पीएमजीएसवाई-I के तहत निर्मित/अद्यतन की गई सड़कों, पीएमजीएसवाई-I के तहत पात्र माध्यम मार्गों/संपर्क मार्गों परंतु जिन्हें अभी तक स्वीकृत नहीं की किया गया हो और यातायात भीड़भाड़ और विकास केंद्र संभावना पर निर्भर करते हुए 5.5 मीटर तक के मौजूदा कैरिजवे से अपग्रेड किए जाने के लिए संशोधित जिला ग्रामीण सड़क योजना (डीआरआरपी) में नए सिरे से चिह्नित माध्यम मार्गों/ संपर्क मार्गों पर केंद्रित है।

इसमें प्रशासनिक तथा प्रबंधन लागत सहित, 33,030 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत (2012-13 कीमतों पर) पर पीएमजीएसवाई-II कार्यक्रम के तहत कुल 50,000 कि.मी. सड़कों की लंबाई को समाहित किया जाना प्रस्तावित किया गया था। केंद्र और राज्यों/संघ शासित प्रदेशों के बीच मैदानी क्षेत्रों में यह लागत 75:25 के अनुपात में और विशेष क्षेत्रों के लिए 90:10 के अनुपात में साझा की जाएगी। बाद में, निधि साझा करने के पैटर्न को मैदानी राज्यों के लिए 60:40 और विशेष श्रेणी राज्यों और पहाड़ी राज्यों के लिए 90:10 में बदल दिया गया। इस कार्यक्रम के तहत सभी राज्य और संघ शासित प्रदेश पात्र हैं।

प्रश्न 21. क्या पीएमजीएसवाई का चरण-3 अर्थात पीएमजीएसवाई-III शुरू किया गया जा चुका है?

उत्तर: बसावटों को जोड़ने वाले माध्यम मार्गों और प्रमुख ग्रामीण संपर्क मार्गों का ग्रामीण कृषि बाजारों (GrAMs), उच्च माध्यमिक विद्यालयों और अस्पतालों से समेकन करने के लिए 80,250 करोड़ रु. की अनुमानित लागत से सरकार ने दिसंबर 2019 में पीएमजीएसवाई-III की शुरुआत की। कुल 1,25,000 किमी लंबाई की सड़कों का निर्माण किया जाना प्रस्तावित है। पीएमजीएसवाई के चरण- III के तहत सभी राज्य और संघ शासित प्रदेश पात्र हैं।

प्रश्न 22. क्या पीएमजीएसवाई 100% केंद्र प्रायोजित कार्यक्रम है?

उत्तर: वर्ष 2000 में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) की शुरुआत 100% केन्द्र प्रायोजित योजना के रूप में की गई। हालांकि, बाद में केंद्र प्रायोजित योजनाओं के युक्तिकरण पर मुख्यमंत्रियों के उप-समूह की सिफारिशों के आधार पर 8 उत्तर-पूर्वी और 3 हिमालयी राज्यों को छोड़कर सभी राज्यों के लिए केंद्र और राज्यों के बीच वित्त पोषण का पैटर्न 60:40 के रूप में संशोधित किया गया था, जबकि विशेष दर्जा प्राप्त राज्यों के लिए यह अनुपात 90:10 निर्धारित किया गया। पीएमजीएसवाई के निष्पादन में तेजी लाने और राज्य सरकारों के नए प्रस्तावों को समायोजित करने के लिए आवंटन बढ़ाने हेतु 2015-16 से वित्त पोषण पैटर्न को संशोधित किया गया था।

प्रश्न 23. पीएमजीएसवाई के तहत संघ शासित प्रदेशों (यूटी) के लिए वित्त पोषण पैटर्न क्या है?

उत्तर: सभी संघ शासित प्रदेशों में केंद्र सरकार द्वारा 100% धनराशि उपलब्ध करवाई जाएगी।

प्रश्न 24. पीएमजीएसवाई के तहत सड़कों के निर्माण के लिए निर्धारित प्रक्रिया क्या है?

उत्तर: पीएमजीएसवाई के तहत सड़कों का निर्माण पीएमजीएसवाई दिशानिर्देशों में निर्धारित प्रक्रियाओं के अनुसार होता है जिसमें वर्णित है कि प्रस्तावों को माननीय संसद सदस्यों से विधिवत परामर्श और जिला पंचायत/ राज्य स्तरीय स्थायी समिति (एसएलएससी) से अनुमोदन के पश्चात व्यापक नई संयोजकता प्राथमिकता सूची (सीएनसीपीएल) या व्यापक अपग्रेडेशन प्राथमिकता सूची (सीयूपीएल) से चयन करके तैयार किया जाता है। प्रस्तावों की एसटीए द्वारा जांच की जाती हैं और राज्य स्तरीय एसआरआरडीए द्वारा इनका संकलन किया जाता है और एनआरआईडीए को भेजा जाता है। नमूना जांच और राज्यों से अनुपालन के बाद, एनआरआईडीए इन प्रस्तावों को विचार के लिए अधिकार प्राप्त समिति के समक्ष रखता है और अधिकार प्राप्त समिति की सिफारिशों को ग्रामीण विकास मंत्री के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है और यदि प्रस्ताव कार्यक्रम की अपेक्षाओं पर खरा उतरते हों तो इन्हें मंजूरी दी जाती है।

पीएमजीएसवाई के तहत सड़कों का निर्माण आईआरसी द्वारा प्रकाशित ग्रामीण विकास मंत्रालय के ग्रामीण सड़कों हेतु विनिर्देशों के अनुसार किया जाता है।

प्रश्न 25. क्या वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों हेतु सड़क संयोजकता परियोजना (आरसीपीएलडब्ल्यूई) पीएमजीएसवाई कार्यक्रम का हिस्सा है?

सरकार ने वामपंथी उग्रवाद से सर्वाधिक प्रभावित जिलों में सुरक्षा दृष्टिकोण से ग्रामीण सड़क संयोजकता में सुधार हेतु केंद्र प्रायोजित योजना अर्थात् "वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों हेतु सड़क संयोजकता परियोजना (एलडब्ल्यूई)" को मंजूरी दी है।

इस परियोजना को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत वर्टिकल के रूप में लागू किया जाएगा।

एलडब्ल्यूई सड़क परियोजना के लिए केंद्र और राज्यों के बीच निधि बंटवारे का पैटर्न पीएमजीएसवाई की ही भांति होगा अर्थात आठ पूर्वोत्तर और तीन हिमालयी राज्यों (जम्मू एवं कश्मीर, हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड) जिनके लिए यह अनुपात 90:10 है, के अलावा शेष राज्यों के लिए 60:40 का अनुपात होगा। सरकार ने राज्यों के लिए वार्षिक आवंटन में 5,000 करोड़ रुपये की वृद्धि की है। आरसीपीएलडब्ल्यूई के तहत केवल एमडीआर, ओडीआर और ग्रामीण सड़कों के निर्माण की अनुमति है। आरसीपीएलडब्ल्यूई कार्यक्रम ग्रामीण विकास मंत्रालय के अधीन है।

प्रश्न 26. पीएमजीएसवाई के तहत प्रस्ताव करने के लिए कैरिजवे और सड़कमार्ग की चौड़ाई कितनी होनी चाहिए?

उत्तर: ग्रामीण सड़क नियमावली, आईआरसी एसपी: 20 और विशेषज्ञ समिति की सिफारिशों के आधार पर, मैदानी और तीखी ढ़लान वाले क्षेत्र के लिए सड़क मार्ग की चौड़ाई सीधी सड़कों के लिए 7.50 मी. और संपर्क सड़कों के लिए 6.00 मी. निर्धारित है। सीधी सड़क के लिए कैरिजवे की चौड़ाई 3.75 मीटर और संपर्क सड़क के लिए 3.00 मी. है। यदि किसी संपर्क सड़क पर प्रति दिन 100 से अधिक मोटर चालित वाहनों का यातायात होता है तो कैरिजवे की चौड़ाई 3.75 मीटर होगी।

पहाड़ी और तीखी ढ़लान क्षेत्र के संबंध में, सीधी सड़क और संपर्क मार्ग दोनों के लिए सड़क मार्ग की चौड़ाई 6.00 मी. होगी और सीधी सड़क के लिए कैरिजवे चौड़ाई 3.75 मीटर और संपर्क सड़कों के लिए 3.00 मीटर होगी। यदि किसी संपर्क मार्ग पर प्रति दिन 100 से अधिक मोटर चालित वाहनों का यातायात हो तो कैरिजवे की चौड़ाई 3.75 मी. होगी।

पीएमजीएसवाई II और III दिशानिर्देशों में सड़कों की यातायात तीव्रता और विकास क्षमता के आधार पर कैरिजवे चौड़ाई 5.50 मी. तक और सड़क मार्ग की चौड़ाई 9 मी तक हो सकती है।

हालांकि, राज्य 7 मी. कैरिजवे चौड़ाई वाली सड़कों का प्रस्ताव भी दे सकते हैं, बशर्ते 5.50 मी. कैरिजवे चौड़ाई से अधिक पर व्यय हुई लागत यथानुपात राज्य सरकार द्वारा वहन की जाएगी।

प्रश्न 27. पीएमजीएसवाई के तहत सड़कों की किस श्रेणी की अनुमति है?

उत्तर: पीएमजीएसवाई के तहत केवल ग्रामीण सड़कों अर्थात अन्य जिला सड़कों (ओडीआर), ग्रामीण सड़कों की ही अनुमति है। पीएमजीएसवाई के तहत एक्सप्रेस मार्ग, राष्ट्रीय राजमार्ग, राज्य राजमार्ग, और मुख्य जिला सड़कों की अनुमति नहीं है।

प्रश्न 28. पीएमजीएसवाई के तहत पेवमैंट की मोटाई कैसे निर्धारित की जाती है?

उत्तर: लचीले पेवमैंट की मोटाई के लिए भारतीय सड़क कांग्रेस (आईआरसी) द्वारा प्रकाशित निम्न यातायात ग्रामीण सड़कों के लिए लचीले पेवमैंट के डिजाइन हेतु दिशानिर्देश आईआरसी एसपी:72-2015 का पालन किया जा रहा है। ऐसे मामले में, जहां अनुमानित यातायात 2 एमएसए से अधिक हो, तो 5 एमएसए तक आईआरसी:37-2012 और 5 एमएसए से परे आईआरसी:37:2018 का पालन किया जा रहा है।

कठोर पेवमैंट की मोटाई के लिए भारतीय सड़क कांग्रेस द्वारा प्रकाशित ग्रामीण सड़कों के लिए सीमेंट कंक्रीट पेवमैंट के डिजाइन और निर्माण के लिए दिशानिर्देश आईआरसी एसपी: 62-2014 का कड़ाई से पालन किया जा रहा है।

प्रश्न 29. क्या पीएमजीएसवाई के तहत सड़कों पर वृक्षारोपण की अनुमति है?

उत्तर: पीएमजीएसवाई कार्यक्रम दिशानिर्देशों के तहत ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा स्वीकृत कार्यक्रम निधि के माध्यम से वृक्षारोपण पर व्यय की अनुमति नहीं है। हालांकि, राज्य सरकारों या पंचायतों द्वारा उनके अपने कोष से सड़कों के दोनों ओर फलयुक्त और अन्य उपयुक्त पेड़ों का रोपण किया जा सकता है। पीएमजीएसवाई मार्गों पर फलयुक्त और अन्य वृक्षों का रोपण मनरेगा के माध्यम से किया जा सकता है। आईआरसी ने आईआरसी:एसपी:103:2014 के तहत ग्रामीण सड़कों पर वृक्षारोपण के लिए विस्तृत दिशानिर्देश प्रकाशित किए हैं।

प्रश्न 30. क्या पीएमजीएसवाई के तहत नई प्रौद्योगिकियों की अनुमति है?

उत्तर: प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत सड़क निर्माण के लिए स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री और नई प्रौद्योगिकियों के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करने के लिए मंत्रालय द्वारा दिशानिर्देश जारी किए गए जिसमें राज्य सरकारों द्वारा वार्षिक प्रस्तावों के तहत कुल लंबाई के न्यूनतम 15% को नई प्रौद्योगिकियों जैसे सीमेंट स्थिरीकरण, लाइम स्थिरीकरण, कोल्ड मिक्स, अपशिष्ट प्लास्टिक, फ्लाई ऐश, सेल फिल्ड ठोस, पैनल्ड सीमेंट कंक्रीट पेवमैंट इत्यादि के तहत प्रस्तावित किया जाना अपेक्षित है। इसके अलावा, स्थानीय स्तर पर उपलब्ध/ प्राकृतिक रूप से उत्पन्न सामग्री/ छिटपुट सामग्री के उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए ग्रेनुलर सब बेस परत की सामग्रियों की ग्रेडिंग के संबंध में ग्रामीण विकास मंत्रालय विनिर्देशों में राहत दी गई है। नई प्रौद्योगिकी पहल संबंधी दिशानिर्देश भी राज्यों को पीएमजीएसवाई के तहत सड़क निर्माण के लिए आईआरसी द्वारा मान्यता प्राप्त नई सामग्रियों/प्रौद्योगिकियों का प्रस्ताव करने की अनुमति देते हैं।

प्रश्न 31 पीएमजीएसवाई के तहत प्रस्तावित पेवमैंट के प्रकार क्या हैं?

उत्तर: पीएमजीएसवाई/आईआरसी दिशा निर्देशों के अनुसार प्रस्तावित सड़क में या तो लचीला पेवमैंट या कठोर पेवमैंट होना चाहिए परंतु कठोर पेवमैंट केवल बसावट वाले हिस्से तक सीमित हो सकता है। पारंपरिक कठोर पेवमैंट के अलावा, पैनल सीमेंट कंक्रीट और सेल फिल्ड कंक्रीट सड़कों का निर्माण भी नई प्रौद्योगिकी के तहत किया जाता है।

प्रश्न 32. पीएमजीएसवाई सड़कों में शोल्डर की चौड़ाई कितनी होनी चाहिए?

उत्तर: पीएमजीएसवाई के दिशानिर्देशों के अनुसार, प्रत्येक सड़क में शोल्डर की पर्याप्त ऊंचाई होनी चाहिए जिससे पैदल यात्री आसानी से चल सकें, वाहन सुरक्षित रूप से गुज़र सकें और सड़क के किनारों को टूट-फूट से बचाया जा सके। पीएमजीएसवाई सड़कों में 3 मी., 3.75 मी. और 5.5 मी. कैरिजवे चौड़ाई की अनुमति है और इन कैरिजवे चौड़ाइयों के अनुरूप सड़क के दोनों ओर 1.5 मी., 1.875 मी. और 1.75 मी. शोल्डर की चौड़ाई को अपनाया जा सकता है हालांकि निर्मित बसावट वाले क्षेत्रों में जगह की अनुपलब्धता के चलते चौड़ाई को कम किया जा सकता है।

प्रश्न 33. पीएमजीएसवाई सड़कों में किस प्रकार के सुरक्षा कार्य का उपयोग किया जाता है?

उत्तर: पीएमजीएसवाई निर्माण कार्य के तहत ग्रामीण सड़क में, विविध सुरक्षा कार्य प्रस्तावित किए जाते हैं जो कि साइट आवश्यकता और स्थानीय स्तर पर उपलब्ध सामग्री पर निर्भर करते हैं। पहाड़ी राज्यों में, आम तौर पर, गेबियन दीवार को वरीयता दी जाती है जो कि मितव्ययी है और इसमें स्थानीय स्तर पर उपलब्ध पत्थर का उपयोग किया जाता है। पश्चिम बंगाल जैसे पूर्वी राज्यों में, जहां यातायात कम होता है वहां सड़क के तटबंध की सुरक्षा के लिए बांस का उपयोग किया जाता है। सुरक्षा कार्यों के अन्य प्रकार में छिटपुट मलबे की चिनाई वाली दीवार, वायर क्रेट दीवार, टो वाल, ब्रेस्ट वाल, और कंक्रीट दीवार भी प्रस्तावित किए जा सकते हैं।

प्रश्न 34. पीएमजीएसवाई सड़क को निष्पादित करने के लिए कितनी अवधि अपेक्षित है?

उत्तर: संबंधित परियोजनाओं को परियोजना कार्यान्वयन इकाई (पीआईयू) द्वारा निष्पादित किया जाएगा और इन्हें कार्य आदेश जारी होने की तिथि से 9 महीनों के भीतर पूरा किया।.

इस संबंध में, स्पष्ट किया जाता है कि:

  • (i) 9 महीने की अवधि में 9 कार्य महीने शामिल होंगे। यदि निष्पादन अवधि के दौरान मानसून या अन्य मौसमी कारकों से प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका हो तो कार्य संबंधी समय-सारणी को मंजूरी देते समय निष्पादन के लिए समय तद्नुसार निर्धारित किया जा सकता है, परंतु यह किसी भी मामले में 12 कैलेंडर महीनों से अधिक नहीं होगा।
  • (ii) जहां किसी पैकेज में एकाधिक सड़क निर्माण कार्य शामिल हों, तो पैकेज पूरा करने के लिए दिया गया कुल समय 12 कैलेंडर महीनों से अधिक नहीं होगा।
  • (iii) पहाड़ी सड़कों (पहाड़ी राज्यों में) के चरण-I कार्यों को पूरा करने के लिए 18 कैलेंडर महीनों तक की समय सीमा की अनुमति दी जाएगी। पहाड़ी राज्यों के संबंध में जहां कार्य को दो चरणों में निष्पादित किया जाना हो, वहां चरण-II निर्माण कार्यों को पूरा करने की समय सीमा ऊपर उल्लिकित (i) और (ii) के अनुसार रहेगी।
  • (iv) चयनित आदिवासी और पिछड़े जिलों के मामले में, निर्माण कार्य पूरा करने के लिए 24 कैलेंडर माह तक की समय सीमा को अनुमति दी जाएगी। हालांकि, ग्रामीण विकास मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई कार्यक्रम निधि से लागत वृद्धि के संबंध में किसी भी अतिरिक्त देयता, यदि कोई हो, का भुगतान नहीं किया जाएगा।

इसी तरह, साइट परिस्थितियों के आधार पर, 25-मीटर से अधिक लंबाई वाले आर-पार जल निकासी कार्यों को पूरा करने के लिए 18-24 महीने की समय अवधि की अनुमति दी जाएगी। हालांकि, दोनों मामलों में, ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा उपलब्ध कराई गई कार्यक्रम निधियों से लागत वृद्धि के संबंध में किसी भी अतिरिक्त देयता, यदि कोई हो, का भुगतान नहीं किया जाएगा। इन शर्तों को भविष्य में पीएमजीएसवाई परियोजनाओं के लिए बोलियां आमंत्रित करने संबंधी बोली दस्तावेजों में समाविष्ट किया जा सकता है।

प्रश्न 35. क्या राज्यों को कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि को समायोजित करने के लिए प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) के तहत परियोजनाओं की अनुमानित लागत में संशोधन करने की अनुमति है?

उत्तर: जी नहीं। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) कार्यक्रम दिशानिर्देशों के पैराग्राफ 11.5 के अनुसार, समय सीमा में देरी, मुकदमेबाजी/न्यायिक अधिनिर्णय के चलते आई किसी भी लागत का राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। ऐसे मामले में, जहां प्राप्त निविदाओं का मूल्य मंत्रालय द्वारा स्वीकृत अनुमान से ऊपर हो, संबंधित चरण/बैच में मंजूर किए गए कार्यों के संबंध में पूरे राज्य के लिए पूल किए गए अंतर (निविदा प्रीमियम) को राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। परियोजना की मंजूरी के बाद कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि के मामले में लागत अनुमान में संशोधन की अनुमति नहीं है।

प्रश्न 36. पीएमजीएसवाई सड़कों के लिए सड़क सुरक्षा ऑडिट क्या अनिवार्य है?

उत्तर: सड़क सुरक्षा पर माननीय उच्चतम न्यायालय की समिति द्वारा जारी निदेशों के अनुरूप, सड़कों के डिजाइन चरण में सड़क सुरक्षा ऑडिट किया जाना अपेक्षित है। इसलिए, पीएमजीएसवाई-III के तहत 5 कि.मी. से लंबी सभी सड़कों के लिए सड़क सुरक्षा ऑडिट अनिवार्य है।

प्रश्न 37. पीएमजीएसवाई सड़कों की गुणवत्ता निरीक्षण के लिए क्या प्रक्रिया है?

उत्तर: पीएमजीएसवाई में सड़कों की गुणवत्ता की निगरानी दो चरणों में होती है: -

क) परियोजना की मंजूरी से पहले

राज्य तकनीकी एजेंसियों (एसटीए) द्वारा डीपीआर की जांच समग्र और विस्तृत होनी चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि ज्यामितीय और वास्तविक डिजाइन उचित और मितव्ययी हों, विनिर्देश पर्याप्त और साइट के अनुरूप हों और मात्राओं का अनुमान सटीक और तर्कसंगत हों। पीएमजीएसवाई सड़कें उच्चतम गुणवत्ता की होनी चाहिए और यह एसटीए का उत्तरदायित्व होगा कि उत्कृष्ट मितव्ययिता सहित सड़कों के उचित डिजाइन के मामले में उल्लेखनीय बदलाव सुनिश्चित करने के लिए नई इनपुट प्रदान करें। एसटीए के अलावा, प्रधान तकनीकी एजेंसियां (पीटीए) प्रणालीगत मुद्दों को चिह्नित करने के लिए एसटीए द्वारा संवीक्षित प्रस्तावों की औचक कार्योत्तर जांचें करती हैं। अंततः एनआरआईडीए भी तकनीकी स्वीकृति के लिए आने वाले प्रस्तावों में से नमूना आधार (कुल परियोजनाओं का 15%) पर जांच करता है।

ख) परियोजना की मंजूरी के बाद

सड़क कार्यों की गुणवत्ता सुनिश्चित करना कार्यक्रम को लागू कर रही राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है। इस उद्देश्य के लिए, सभी निर्माण कार्यों का प्रभावी ढंग से पर्यवेक्षण किया जाना चाहिए। प्रत्येक निर्माण कार्य के लिए, विनिर्देशों के तहत निर्धारित अनिवार्य परीक्षण प्रावधानों को प्रचालित करने के लिए प्रत्येक सड़क निर्माण कार्यों के लिए एनआरआईडीए द्वारा निर्धारित गुणवत्ता नियंत्रण रजिस्टर अनिवार्य रूप से बरकरार रखा जाएगा। जब तक निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार परीक्षण नहीं किए गए हों और परिणाम संतोषजनक नहीं पाए गए हों, तब तक ठेकेदार को भुगतान नहीं किया जाएगा। प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में तीन स्तरीय गुणवत्ता प्रबंधन तंत्र की परिकल्पना की गई है। गुणवत्ता प्रबंधन तंत्र का पहला स्तर निष्पादन एजेंसी की इन-हाउस गुणवत्ता नियंत्रण प्रणाली है, जबकि गुणवत्ता प्रबंधन तंत्र का दूसरा स्तर राज्य सरकार द्वारा संचालित स्वतंत्र गुणवत्ता आश्वासन प्रणाली है। इस तरह, गुणवत्ता प्रबंधन संरचना के पहले दो स्तरों के लिए राज्य सरकारें जिम्मेदार होंगी। तीसरे स्तर के रूप में एनआरआईडीए द्वारा परिचालित स्वतंत्र गुणवत्ता प्रबंधन तंत्र की परिकल्पना की गई है, इस प्रकार, इस स्तर को एनआरआईडीए द्वारा राष्ट्रीय गुणवत्ता मॉनीटरों (एनक्यूएम) के माध्यम से लागू किया जाएगा।

प्रश्न 38. ग्रामीण विकास मंत्रालय/एनआरआईडीए में पीएमजीएसवाई कार्यों के प्रस्ताव प्राप्त होने के पश्चात सरकार द्वारा मंजूरी देने में कितना समय लिया जाता है?

उत्तर: पीएमजीएसवाई की प्रचालन नियमावली के अनुसार, राज्य से प्रस्ताव प्राप्त होने के पश्चात, एनआरआईडीए प्रतिनिधि/नमूना आधार पर न्यूनतम 15% डीपीआर की जांच करेगा जिनका मूल्य औसत लागत से अधिक होगा। संवीक्षित डीपीआर पर टिप्पणियां सूचीबद्ध करते हुए, एनआरआईडीए इस आधार पर तकनीकी नोट दर्ज करेगा और राज्यों से एसआरआरडीए स्तर पर सभी डीपीआर को सही/ संशोधित करने और पुनरीक्षित/संशोधित डीपीआर लागत को ओएमएमएएस पर लोड करने का अनुरोध करेगा। इसके बाद, एनआरआईडीए प्रस्तावों को संसाधित करेगा और इन्हें मंजूरी के लिए अधिकार प्राप्त समिति को प्रस्तुत करेगा।

एनआरआईडीए प्रचालन नियमावली के अनुसार, राज्य सरकार द्वारा परियोजना प्रस्तावों के साथ-साथ सभी आवश्यक प्रमाण पत्रों को प्रस्तुत करने और ओएमएमएएस पर डेटा अपलोड करने के बाद, मंत्रालय द्वारा प्रस्तावों की मंजूरी के लिए कम से कम 15 दिन की अवधि आवश्यक है बशर्ते राज्य द्वारा एनआरआईडीए की टिप्पणियों के बारे में पूर्ण अनुपालन किया गया हो।

प्रश्न 39: क्या पीएमजीएसवाई के तहत कार्बन फुटप्रिंट कम करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं?

उत्तर: यह अपेक्षा की जाती है कि समग्र सड़क अवसंरचना ढांचा जिसकी योजना, डिजाइन, निर्माण और रखरखाव किया जाता है वह न केवल आर्थिक, सामाजिक और पर्यावरणीय रूप से टिकाऊ हो, बल्कि दीर्घकालिक रूप से जलवायु परिवर्तन के प्रति प्रतिरोधक भी हो। पर्यावरणीय रूप से स्थायी बुनियादी ढांचे में निर्माण और रखरखाव दोनों के दौरान कार्बन उत्सर्जन कम रखा जाता है और यह निम्न कार्बन उत्सर्जन की ओर ले जाने में योगदान देता है।

ऊपर्युक्त के दृष्टिगत, ग्रामीण सड़कों में संवर्धित प्रतिरोधक क्षमता और पर्यावरणीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए, पीएमजीएसवाई के तहत निर्मित सड़कों में विविध जलवायु अनुकूल उपाय अपनाए गए हैं।

इसके अलावा अद्यतन डीपीआर टेम्पलेट में, 'जलवायु लचीली और कार्बन न्यूनीकरण रणनीतियां' नामक अलग अध्याय शामिल किया गया है। यह अध्याय सड़क परियोजना में जलवायु लचीलेपन के लिए अपनाए जाने वाले विभिन्न उपायों और कामकाज के लिए पर्यावरण कोड्स के अनुपालन के विवरण से संबंधित है। इसमें पारंपरिक के साथ-साथ अन्य उपलब्ध प्रौद्योगिकी के बजाय विशिष्ट प्रौद्योगिकी को अपनाने के औचित्य को भी शामिल किया गया है।

प्रश्न 40: परियोजना में तकनीकी संस्थानों की भूमिका?

उत्तर: राज्य सरकारों और कुछ पूर्व-निर्धारित योग्यता मापदंडों की संस्तुति के आधार पर इंजीनियरिंग संस्थानों को राज्य तकनीकी एजेंसियों (एसटीए) के रूप में नियुक्त किया गया है। राज्य तकनीकी एजेंसिया(एसटीए) राज्य सरकारों द्वारा तैयार किए गए परियोजना प्रस्तावों की जांच करती हैं और उन्हें तकनीकी सहायता प्रदान करती हैं। एसटीए द्वारा जांच से परियोजना मंजूरी की प्रक्रिया में तेजी आती है, साथ ही साथ पीएमजीएसवाई के कार्यान्वयन में तकनीकी अनुशासन और कड़ाई का निश्चित परिमाण स्थापित होता है, राज्य के अधिकारियों के लिए भी प्रशासनिक रूप से ऐसा सुविधाजनक है।

इसके अलावा 7 भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों और अन्य प्रमुख तकनीकी संस्थानों को प्रधान तकनीकी एजेंसियों (पीटीए) के रूप में नियुक्त किया गया है ताकि इनके द्वारा ग्रामीण सड़कों के लिए तकनीकी सहायता प्रदान की जा सके और विभिन्न प्रौद्योगिकियों के लिए अनुसंधान परियोजनाओं का जिम्मा लिया जा सके, इनका अध्ययन और मूल्यांकन किया जा सके और गुणवत्ता और लागत मानदंडों में सुधार करने के उपायों पर परामर्श दिया जा सके।

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